अब तू ही बता ए दिल मैं क्या लिखूं ? दिल की बातें या खामोश ज़ज्बात लिखूं
उन संग बिताए हर शाम का हिसाब लिखूं, बेहिसाब वो प्यार बेशुमार लिखूं ।
ख्वाबों से हक़ीक़त का साथ लिखूं, मिलन के बाद विरह की रात लिखूं ।
चिट्ठियों में महकता वो गुलाब लिखूं, उनके ख्याल में एक ख़त बेनाम लिखूं ।
खनकते चूडियों का शोर लिखूं, अकेली रातों में बीता हर लम्हां लिखूं ।
सोच न सके मैं इतना प्यार लिखूं । तुम्हारी हर सांसो में अपना नाम लिखूं ।
-किरन झा मिश्री