वो समझते है............................................
वो समझते है.............................
शरीर बांधकर कर सोच को कैद कर लेंगे,
गला जकड़ कर आवाज़ को बंद कर लेंगे,
खोज लेगी मंज़िल खुद का रास्ता खुद ही,
ना समझ कि हमें रोक कर तू रोक लेगा ज़िन्दगी को भी..................................................
वो समझते है.....................................
उनकी अकड़ हमारी ज़िद तोड़ देगी,
उनके रूतबे के आगे हमारी एक ना चलेगी,
हम अड़ गए तो तुम्हारा क्या होगा,
खुद के अंहकार को सहलाने के लिए कौन मिलेगा..............................................
वो समझते है.........................................
कमज़ोर है हम,
झुक जाते है उनके आगे इसलिए कमतर है हम,
है तो इंसान वो भी फिर भी खुद को खुदा समझते है,
हम झुकते है उसके आगे जो सबको एक जैसा समझता है,
वो ना नीचा दिखाता है और ना ही हमें परेशान करता है....................................................
स्वरचित
राशी शर्मा