इश्क ए शौक़
सावन में अब
कोयल कोकती नही,
मोर नाचता नही,
बादल घुमड़ घुमड़
कर रह जाते हैं
पर बरसते नही।
उमस,बेचैनी और उदासी में
कैद बरसों से मोहब्बत
अब किसी के लिए
तड़पती नही।
दिल मे मोहब्बत
अब पनपती नही,
शमा संग जलने को
परवाना राज़ी नही ।
खाली पड़े पैमाने भरने को कोई साखी नही,
अविश्वास सन्देह में बनते, रिश्तों का कोई गवाह नही।
हर तन्हा मोहब्बत को
इश्क ए शौक़
(बुरी आदत)सा हो गया है ,
अब तन्हा जिंदगी
बसर करने का।
##प्रेमा @@