Hindi Quote in Poem by सनातनी_जितेंद्र मन

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😥विभीषिका आजादी की...😥

है नहीं आजादी हऽमारी,
ये सिंहासन की मारी थी।
इसे आजादी का नाम न दो,
ये लोलुपता की क्यारी थी।।..नहीं...

निर्दोषों के लहु सनी,
न हमको कभी ये प्यारी थी।
बन आया अभिषाप देश में,
खंडित करने की मनमानी थी।।..नहीं...

ले नेहरू-जिन्ना का वेश,
करम की ऐसी सानी थी।
रोक ना पाया चरखा कोई,
कुछ बापू की मेहरबानी थी।।..नहीं...

लुटी थी न जाने कितनों की,
अस्मत माँ-बेटी-बहनों की।
सत्ताओं ने ठानी थी,
नहीं अचानक से आया था...
ये षड्यंत्र पुरानी थी।।..नहीं...
क्रमशः.....✍️

#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111742095
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