" बनारस " और " तुम " ❤️
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आज फिर गए थे हम "बनारस"
हां..., हां..., जानते हैं.....
ख्यालों में भ्रमण किया है हमने
लेकिन उन ख्यालों में भी हम
अस्सी घाट की गंगा के अविरल
जल से ऊपर ठीक तीसरी सीढ़ी
पर विराजमान थे , हंसों मत...
कहने का मतलब था बैठे थे हम
और तुम्हें पता है , क्या देखा
था हमने अपने ख्यालों में...
हम अकेले नहीं बैठे थे वहां
बल्कि तुम साथ थे हमारे
तुम्हारी हथेली की पकड़ में
हमारा हाथ मजबूती से समाहित था
और हम दूर तक बिखरे हुए ...
बहती गंगा के खूबसूरत जल
की अथाह सीमा को निहार रहे थे
और तुम...., हमें......❣️
हां....., तब लगा होगा तुम्हें
कि हम तुम्हारी इन नजरों की कशिश से
अनजान हैं या पता नहीं चला होगा हमें
लेकिन बता दें हम तुम्हें.......
नज़र आती हमारी नज़रें जरूर
पवित्र गंगा की लहरों में दिखती
खूबसूरती और सुकून को निहार रही थी
लेकिन हमारी मन की नज़रें तो बस
तुम्हीं में समाहित हो, तुम्हें ही
अपने मन के एक सुंदर से कोने
में कैद कर रही थीं......,
हां...., कैद ही कर रही थीं
एक खूबसूरत याद की तरह
जहां हमारे दोनों सुकून
'बनारस' और 'तुम' हमारे साथ थे ❤️
- अरुंधती गर्ग ( Meethiiiiiii 😊 )
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"I love Banaras❤️"
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बनारस वो जगह है जिसकी अभिव्यक्ति ही इंसान पूर्ण रूपेण किसी निश्चित शब्द सीमा या वाक्य में उतार पाए, ये संभव ही नहीं ।
ये हमें सिर्फ प्रेम के रंग से ही नहीं , बल्कि जिंदगी और दुनिया के उन हर रंगों से मिलवाता है , जिनके बारे में हम जानते नहीं या फिर , कभी सोचने पर विवश नहीं हुए ।
अपनी एक अलग छवि बनारस ने बना रखी है पूरी दुनिया में और इस छवि को दिल से दंडवत नमन है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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Picture credit - Pinterest 👇
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