Hindi Quote in Poem by Ajay Amitabh Suman

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इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् पन्द्रहवें भाग में दिखाया गया जब अर्जुन के शिष्य सात्यकि और भूरिश्रवा के बीच युद्ध चल रहा था और युद्ध में भूरिश्रवा सात्यकि पर भारी पड़ रहा था तब अपने शिष्य सात्यकि की जान बचाने के लिए अर्जुन ने बिना कोई चेतावनी दिए युद्ध के नियमों की अवहेलना करते हुए अपने तीक्ष्ण वाणों से भूरिश्रवा के हाथ को काट डाला। कविता के वर्तमान भाग अर्थात् सोलहवें भाग में देखिए जब कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा पांडव पक्ष के सारे बचे हुए योद्धाओं का संहार करने हेतु पांडवों के शिविर के पास पहुँचते तो वहाँ उन्हें एक विकराल पुरुष उन योद्धाओं की रक्षा करते हुए दिखाई पड़ा। उस विकराल पुरुष की आखों से अग्नि समानं ज्योति निकल रही थी। वो विकराल पुरुष कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा के लक्ष्य के बीच एक भीषण बाधा के रूप में उपस्थित हुआ था, जिसका समाधान उन्हें निकालना हीं था । प्रस्तुत है दीर्घ कविता "दुर्योधन कब मिट पाया " का सोलहवाँ भाग।

Hindi Poem by Ajay Amitabh Suman : 111740317
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