शिकायतें बहुत है, मैं बयां नही करना चाहता
मैं बस अपने जख्म हरे नही करना चाहता

वैसे तो बहुत जूनून है अपना घर रौशन कर लूँ
मैं बगल की झौंपड़ी में अंधेरा नहीं करना चाहता

तू छोड़ गया मुझे अपनी बेबसी का हवाला देकर
खैर,
बड़े पेड़ पर कौन परिंदा बसेरा नही करना चाहता

कितना आबाद रहा तुझे पा कर तेरा रकीब
नहीं पता,
इक बेजान बूत ,कुछ खत, खुश्क लाल धब्बे मिले कहता भी था तुमसे मैं अकेला बसर नहीं करना चाहता

#M -kay

Hindi Shayri by M-kay : 111738582

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