कविता- मिलन
मंजर वह कितना सुहाना होगा।
धरा, गगन का क्षितिज पर
जब मिलन होगा।
इस मिलन का
गवाह एक चाॅंद बना होगा।
स्वर्ग से भी सुंदर
वह नजारा होगा।
प्यार की खुशबू से महका।
वह सारा आलम होगा।
सागर भी मिलन गीत गाता होगा।
देखकर मंजर यह हसींन
खुदा को भी रश्क़
अपने जहान पर रहा होगा।
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*अर्चना राय
-Archana Rai