•कर्मभूमि को अपनी माँ बनाकर, जो बन रहा है अपनी ही जन्मभूमि का मेहमान,
भारत की ये संतान...........अब नहीं रहा इंसान(2)।।
•जहाँ पे सिर्फ रंग-रूप से ही होती है पहचान,
भारत की ये संतान...........अब नहीं रहा इंसान(2)।।
•जहाँ पे दिल से दिल नहीं, धर्म होना चाहिए समान,
भारत की ये संतान...........अब नहीं रहा इंसान(2)।।
•अपनी मातृभाषा को नजरअंदाज कर, विदेशी भाषा को पक्की बनाने का है अरमान,
भारत की ये संतान...........अब नहीं रहा इंसान(2)।।
•भगवान् को भी बांटकर, जिसने जताया, मैं हिंदु......तू मुसलमान,
भारत की ये संतान...........अब नहीं रहा इंसान(2)।।