My Wonderful Poem ...!!!
महज़ इतरकी ख़ुशबू से कपड़े
महकाना कोई बड़ी बात नहीं है
मज़ा तो तब है जब कि आपके
किरदार से ही खुशबू आती रहे
मिली है जीदगीं तो इसे जी कर
ही तो जाना कोई बड़ी बात नही है
मज़ा तो जब है कि आपके जाने
के बाद भी याद आपकी आती रहे
बेवजह तो बाग़-बाँ भी नही महकतें
चमन की हर कली मावज़त से बढ़ती
नस्ल व पुस्तों को बढ़ाना बड़ी बात नही
मज़ा तो जब है कि आपकी हर एक
शाँख-औ-नस्ल बेशक रोशन ज़मीर हो
परम कृपालु प्रभुजी की भी पसंदीदा हो
रोशन ज़मीर = साफ़ अन्तरात्मा
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