My Wonderful Poem...!!!
यारों ग़र इश्क़ हैं तो हुस्न से क्या ग़रज़
ग़र मोहब्बत हैं तो उम्र से भी क्या ग़रज़
ग़र दिल जवाँ हैं तो जईफीसे क्या ग़रज़
ग़र यक़ीन हैं तो तूफ़ानों से क्या ग़रज़
ग़र मन मक्कम हैं तो गुनाहसे क्या डर
ग़र होंसलें हैं तो कठिनाईयों से क्या डर
ग़र विश्वास हैं तो दुशवारी से क्या डर
ग़र प्रार्थनाबल हैं तो नाकामीसे क्या डर
ग़र प्रभुपरस्त हैं तो मोक्ष की क्या फ़िक्र
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