Disclaimer : ये सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं,सिर्फ़ एक विचार को प्रस्तुत करने के लिए। लेखन की दुनिया में एक नया प्रयोग कर रही हूँ, कहानियों के ज़रिए विचार और बात प्रस्तुत करने का।
“बहुत प्यार करते हो ना तुम मुझसे ?”
पता हैं जवाब में तुम ना ही कहूँगे , पर भी बार बार तुम्हें पूछना अच्छा लगता हैं। जानते हो क्यूँ? तुम्हारी आँखे ज़ूठ नहीं बोलती और उसमें प्यार देख बड़ा ही सुकून सा मिलता हैं।
और एक बार ऐसे ही मैंने फिर पुछ लिया और तुमने हाँ कह दिया । तुम्हें लगता होगा मैं बहुत ख़ुश हुई होगी , पर नहीं ! उस दिन सबसे ज़्यादा दुःखी हुई थी , क्यूँकि तुम्हारी आँखों में वो प्यार नहीं था।
शायद एक ही इन्सान के साथ बहुत वक़्त बिताने से उससे प्यार कम हो जाता होगा । ऐसा मैंने पढ़ा था । शायद वही हुआ होगा।
आप ने क्या सोचा?
प्यार की कहानी ख़त्म ?!
पर नहीं , हम आज भी साथ हैं । अब उसकी आँखें और होंठ दोनो उसके लिए मेरी मोहब्बत बयाँ करते हैं।
अचानक क्या हो गया ऐसा सोच रहे हो आप ?!
मैंने बस थोड़े पल के लिए उससे जुदाई ले ली । बस मेरे कृष्णाजी पर भरोसा कर । मानती हूँ प्यार सच्चा हो तो शारीरिक दूरियाँ दिल की दूरियाँ कम करती हैं। जानती हूँ थोड़ा अप्रचलित मत हैं, पर मेरी कहानी में सच्चा साबित हुआ।
हमारी दूरियाँ उससे सही नहीं गई। बड़े प्यार से मुझे गले लगाकर वो बोला,
“तुम ना मुझसे दूर मत रहा करो। बहुत प्यार करता हूँ तुमसे।”
उस दिन उसकी आँखो और होंठ दोनो ने आख़िरकार कह दिया मुझसे।
बिलकुल बच्चा सा हो कर गले मिला था।
हाँ, प्यार में लोग बच्चे ही तो हो जाते हैं। और मैं मानती हूँ वही सच्चा प्यार जहाँ बच्चे बन सको आप।
प्यार हमेशा साथ रहने से नहीं बढ़ता , कभी कभी दूरियाँ भी ज़रूरी होती हैं।
एक खाना खाके लोग थक जाते हैं , तो ये इन्सान क्या चीज़ हैं।
बस अपने प्यार पे भरोसा रखे और उससे बिना उम्मीद मोहब्बत करते रहे।फिर उसे मुकम्मल होने से कोई नहीं रोक सकता ।
-PARL MEHTA