प्रेम में होना
अधरों पर स्मित,
मन में उमंग,
आंखों में झिलमिलाने लगे
सतरंगी सपने,
झंकृत हो उठे
हृदय वीणा के तार,
दमकने लगो तुम
दैवीय कांति से,
निहारने लगो
खुद को बार बार तुम
कि दर्पण मुस्कुरा उठे
तुम्हारी अधीरता पर,
प्रकृति श्रृंगार करती दिखे,
मन में बसंती बयार बहे,
आकांक्षा हो वसुधा को
स्वर्ग बनाने की,
हिम्मत अा जाए
सबसे टकराने की,
बढ़ने लगे अधीरता
जगने लगे जिजीविषा,
समझना मेरे मित्र,
कि प्रेम में हो तुम।