जाने क्यों दिल हमारा परेशान है ।
उनको देखे बिना कैसे हैरान है।।
संगदिल आओगे कब हमारे लिए ।
चंद दिन रह गये घर के मेहमान है।।
बक़्त गुज़रा है कैसे न पूछो हमें ।
अश्क मेरे ही दिल के निगेहवान है।।
रात- दिन बेक़रारी सी बढती रही।
दिल से हम तो तुम्हारे क़दरदान हैं।।
डर का आलम हमें यूं सताने लगा ।
जिस्म के सामने जैसे शैतान है।।
दर्दे दिल उनकी चाहत में बीमार है।
हम तो उनकी अदाओं पे कुर्वान है।।