# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .उपहास "
# छंदमुक्त कविता ***
जिदंगी तू अब ,मेरा उपहास मत कर ।
कर्म करने दें मुझें ,निराश मत कर ।।
तेरे डर से मैं ,अब तक बहुत डरा हूँ ।
पर अब डरा कर ,मुझें भयभीत मत कर ।।
अपने कर्म पथ पर ,मुझें आगे बढ़ने दें ।
जीवन तो संधर्ष ,का नाम है ।।
बेकार भय से ,मुझें धरों में बंद मत कर ।
मुझें तो आसमान छूंना है,
राह में कांटे मत बिछा ।।
मैं बहुत डरा तुझसे ,पर अब डराया मत कर ।
चाहे कर्तव्य पथ पर ,लड़ते हुए मर भी जाऊँ ।।
तू समझती है ,मैं जीवन से हार गया हूँ ।
पर इस बात का ,मेरा उपहास मत कर ।।
बृजमोहन रणा ( बृजेश ) ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।