खुदा बुलाओ,रब बुलाऊँ या बुलाऊँ भगवान,
मुझे तो पसंद है तेरे सभी यह नाम ।
मंदिर जाऊँ,मस्जिद जाऊँ या जाऊँ गुरुद्वारा,
तू तो बसा है दुनिया के हर एक धाम।
मंदिर में भजन गाऊँ या मस्जिद में चादर चढ़ाऊं,
स्वर्ण मंदिर में भोग खिलाऊँ या बाइबल का पाठ लगाऊँ।
समझ नहीं आता और कितना बटूँ मैं
पहले धर्म फिर जात-पात
देश विभाजन फिर काट-छांट
रंग-देश,जाती-वेश
काला-गोरा,स्वदेश-प्रदेश
हे ईश्वर,हे खुदा,हे सुन मेरे नाथ,
क्यों नहीं गा सकते हम सभी सुर एक साथ?
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