Prem_222:

कहीं दूर जब दिन ढल जाए
साँझ की दुल्हन बदन चुराए
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर ...

कभी यूँहीं, जब हुईं, बोझल साँसें
भर आई बैठे बैठे, जब यूँ ही आँखें
तभी मचल के, प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र न आए, नज़र न आए
कहीं दूर ...

कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आए, जनमों के नाते
घनी थी उलझन, बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये, दर्द पराये
कहीं दूर ...

दिल जाने, मेरे सारे, भेद ये गहरे
खो गए कैसे मेरे, सपने सुनहरे
ये मेरे सपने, यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा न होंगे इनके ये साये, इनके ये साये
कहीं दूर ...

#આનંદ

Hindi Blog by Prem_222 : 111515433
Prem_222 4 year ago

Thanks dear... 🙏🙏💐🎉❤️🎊🌹🌹🌹

Prem_222 4 year ago

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Prem_222 4 year ago

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Prem_222 4 year ago

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Radhika 4 year ago

Super movie .

Prem_222 4 year ago

And my also With all lovely songs..

The best sellers write on Matrubharti, do you?

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