कभी खामोशियां गुनगुनाती हैं
कभी वक्त ठहर जाता है
जब साथ तुम होते हो
जहां संवर जाता है
ख्वाबों में तो आते हो
हकीकत में कब आओगे
कभी खामोशियां
कोई वादा नहीं था,
कोई इकरार भी न था
तुम यूं चले जाओगे,
इसका यकीन भी न था
जब भी मेरी याद आए
लौट के आ जाना
जिस मोड़ पे छोडा़ था,
पाओगे वहीं पें
कभी खामोशियां गुन गुनाती हैं