कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था .

कहा आ गए इस समझदारी के दल दल में वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था .

-SHIVAN

#बचपन

Hindi Shayri by Poorav : 111445062

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