मैं ही परशुराम हूँ और मैं ही रामचन्द्र भी था।
मैं ही ब्रह्मा,विष्णु,महेश हूँ और मैं ही सरस्वती, लक्ष्मी और काली भी। मैं ज्ञान हूँ,सृष्टी हूँ,चैतन्य हूँ और परब्रह्म हूँ। मैं सब कुछ हूँ और मैं कुछ भी नही। ऐसा प्रत्येक युग में हुआ है और आगे भी ऐसा ही होगा-कृष्ण
#श्रीमद्भगवदगीता