सब कैद हुवा ओ मेरे कुदरत अब तो बस कर ना,
ये मानव फिर नही बनेगा दानव बस कर ना ।
बहोत गलतियां की है हमने तेरे इस बाग को उजाड़ ने में
तू तो महिबाप है अपने बच्चों को फिर से माफ कर ना ।
हम कठपुतली है तेरी तू नचायगा ऐसे नाचते रहेंगे,
पर यूं ख़ौफ़ दिखाके तेरा ,बच्चों मत घभराया कर ना ।
ग़लती होती है हम से हम तो तेरे ही बच्चे है ना ,
ये अवनि भी तेरी ओर हम भी ,तू हृदय बड़ा कर ना ।
"हृदय"