अनकहा अंजाना सा तेरे मुंह से वह शब्द अधूरा याद आता है
उसमें छिपी किसी की जिंदगी का अफसाना याद आता है
फिर किसी ने पुकारा मुझको अनकहा सा एक शब्द दोहरा के
उस अनकहे से शब्द में मुझे कोई अपना सा नजर आता है
अनकहा अंजाना सा तेरे मुंह से शब्द अधूरा याद आता है
बात चल निकली जब एहसासों की, फिर मुझे वह तेरा यूं ही घूरना... अनकहा सा वह एहसास याद आता है
अनकहा अंजाना सा तेरे मुंह से वह शब्द अधूरा याद आता है
दूरियां जो हम चाहते नहीं थे फिर भी बनती गई तुमसे
उन दूरियों के बीच मुझे कोई अनकहा सा पैगाम नज़र आता है....
चोरी चोरी निगाहों से मुझे यूं देखना फिर पलके झुका कर मुस्कुराना याद आता है...
तेरे लब किसी शब्द को अधूरा ही कह पाए,
फिर उस दास्तान की कहानी भी अधूरी रह गई,
वह अनकहा शब्द आज तक भी मेरे कानों में गूंजता है बहुत परेशान करता नजर आता है,...
जो कभी पूरा ना हो सका....
वह शब्द रह रह कर मुझको बहुत याद आता है...
बहुत याद आता है... बहुत याद आता है...
अनकहा अंजाना सा........
टीटू त्यागी चमरी हापुड़
अनकहा अंजाना सा तेरे मुंह से वह शब्द अधूरा याद आता है
#अनकहा