साँवले रंग का था वो
जो हमेशा मुस्कुराया करता था
मुझसे रात रात भर बातें करके
मुझे अपना बनाया करता था
आँखों में उसकी अगर देखूँ तो खो जाती थी
हर रोज़ उसकी आवाज़ सुनते सुनते सो जाती थी
जिद्दी वो बेहिसाब था
बातों का ना उसकी कोई जवाब था
कोई कहे वो सपना था, कोई कहे वो ख्वाब था
पर जैसा भी था बन्दा लाज़वाब था
मेरी हर गलती को कर देता वो माफ़ था
क्या बताऊं यारो वो दिल का बहुत साफ़ था
परव़ाह करता था मेरी तो भी जताता नहीं था
खुद कुछ भी कहे, पर कोई और कहे तो सह पाता नहीं था
अधूरी थी ये कहानी, फिर भी मशहूर है
आ गया है वो शख्स जिंदगी में वापस, फिर भी दिल से दूर है..
#PJ
#sanwlamahi

Hindi Poem by Priya Jain : 111389704

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now