इजहार -ए -इश्क करने को खड़े हैं हम इस डगर ,
तेरी राहों में मोहब्बत के फूल बिखेरे हैं हमने इस कदर ,
अगर बाहर घर के निगाह डालोगे एक मर्तबा ,
इश्क से रंगी हुई सड़क देख शर्मा जाओगे तुम भी जरा l
इश्क जो तुमसे ,एक मर्तबा कर लिया है
सारे रस्मो रिवाज तोड़ ये दिल ने तुम्हें अपना लिया है ।
मानो या ना मानो तुम जरा , इस दिल में झांक देख तेरा नाम गुदवा रखा है हमने हर जगह , अब बस तू एक बार मेरा इश्क कबूल कर लेना अपने दिल में हमें बसा लेना ।।