एक खूबसूरत गांव जो एक पहाड़ी पर आया है सांची एक छोटा सा गांव है। एक खूबसूरत सुबह होती है। एक लड़की घर के अंदर जमीन पर एक पतले से बिस्तर पर सोई थी। उस लड़की की गहरी नीद हल चलने और टेक्कटर के चलने की आवाज से खुल जाति है।
लड़की मुस्करा के उठती है। और आसपास देखती है। उसका एक रूम का घर था जो काफी बड़ा था। और उसी रूम के कोने में किचन था। वोह लड़की दिखने में काफी साधारण दिख रही थी। लड़की जमीन से खड़ी होती है। और अपना बिस्तर उठा के वही लोहे की पेटी के उपर रख देती हैं आज पता नही क्यू उसकी आंख जल्दी नही खुली थी।
लड़की उठकर घर के पूछे आती है घर के पूछे आंगन था जहा अलग से दो लड़के के दरवाजे थे। लड़की उसी दरवाजे के अंदर जाति है। और दरवाजा खोल अंदर का नल चालू करती है। लड़की वहा से अपना ब्रश निकाल के ब्रश करने लगती है। एक तरफ अपने लिए पानी भरने रख देती है।
वोह लड़की जेसे ही फ्रेश होकर नहाने को जाति है तभी उसके कानो में आवाज आती है ,"शिवि शिवि...मुझे नहाना है मुझे नहाने जाने दो ना वरना मुझे स्कूल के लिए देरी हो जाएगी "
एक 10 साल का बच्चा भागते हुवे वहा आता है। और अपनी बड़ी बहन शिवि को ये बात कहता है। शिवि ये सुन पीछे मुड़ती है और अपने कमर पर दोनो हाथ रख जूक कर बोली ,"अच्छा बच्चू तब कहा थे जब में सो रही थी तब तो इतनी सुबह सुबह खेलने चले गए थे जाओ जाओ जब तक में नही नहा लेती तब तक तुम्हे अंदर नही जाने को मिलेगा "
वोह 10 साल का लड़का शिव थोड़ा गुस्से से बोला ,"ऐसा क्या कर रही है शिवि तू कहा अब कही जाती है तुझे पूरे दिन घर तो रहना होता है देख मुझे जाना दे मुझे पढ़ने जाना है "कहकर शिवि को धक्का देकर अंदर चला जाता है। और दरवाजा बंध कर देता है शिवि हैरान हो जाति है।
हा शिव ने सच तो कहा था वैसे भी पूरे दिन क्या करती है। शिवि ओझा एक 18 साल की खूबसूरत लड़की थी। शिवि ने सिर्फ 10 वी तक की पढ़ाई कन्या छात्रालय में की थी। जो स्कूल सरकारी थी लड़कियों के लिए बिल्कुल पैसे नही थे। शिवि की आगे की पढ़ाई के लिए हर जगह काफी पैसे लगने वाले थे। जो शिवि के मां बाप के पास नही थे और शिवि को 2 साल पहले अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी शिवि ने 16 साल में 10 वी में पूरे सांची में पहले नंबर आई थी इतनी होशियार थी शिवि को पढ़ने लिखना का काफी सोख था पर उसका ये सोख बस उसकी एक ख्वाहिश बन कर रह गया। क्युकी शिवि की मां बाबा एक किसान थे वोह दिनभर दूसरे के खेत में मजदूरी करते थे और उन्हें पूरे दिन की मुस्किल से मजदूरी मिलती थी।
शिवि मुंह बिगाड़ अंदर जाने को होती है तभी उसका ध्यान सामने जाता है सामने से एक लड़का बाइक से गुजर रहा था और सिटी मारकर शिवि को बुला रहा था ये लड़का गली का आवारा लड़का था या ये कहे सांझी गांव के जमीनदार का बेटा था। जो काफी बिगडेल था। वोह शिवि को शुरू से पसंद करता था पर शिवि उसे भाव ही नही देती थी। वोह लड़का जिसका नाम दीपक था वोह हर सुबह शिवि के नहा ने का टाइम ही आता था ताकि वोह शिवि पर बुरी नजर डाल सके शिवि को मजबूरन अंदर से ही पूरे कपड़े पहनकर आना पड़ता था क्युकी बाथरूम बाहर पीछे की तरफ आंगन था और घर के बाहर से एक शेरी जाति थी जहा से सब उपर से नीचे आते जाते रहते थे।
शिवि बिना उसे देखे जल्दी से अंदर चली जाति है वोह लड़का दीपक वही पर बाइक लगा के उस पर लेट जाता है। और अपनी सिगरेट जला के पीना लगता है। शिवि दरवाजा बंध कर देती है और गहरी गहरी सांसे लेने लगती है। शिवि का चेहरा उदास था। उसकी आंखे हल्की नम थी वोह ये बात अपने भोले भाले मां बाप सचिन और शुलोचना जी को नही बता सकती थी। क्युकी बचपन से उसकी खूबसूरती के कारण ऐसे कई उसके साथ हादसे हो चुके थे जहा कई लोगो ने उस पर हाथ डालने की कोशिश की है पर उस वक्त उसके बाबा और मां ने उसे बचाया था पर शिवि को कुछ याद नहीं था।
शिवि अपने आंख से आंसू साफ कर के बोली ,"में केसे बाबा को बताऊं की हमारे गांव का जमीनदार का बेटा हर वक्त मुझे छेड़ता रहता है। मुझे परेशान करता रहता है हमारी इतनी औकात भी नही की हम उनके परिवार से लड़ सके अगर मेने कुछ भी किया तो पूरा गांव और पुलीस वाले सब लोग मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ हो जायेंगे "कहकर शिवि उदास मन से बैठी रहती है तभी शिव नहाकर एक तोलिए में बाहर आता है। और अंदर आकर बोला ,"जा शिवि नहाने मुझे कपड़े बदलने है "उसकी बात सुन शिवि खड़ी हो जाति है और वापस पीछे आंगन में आती है। वोह धीरे से अपनी नजरे उठा के उपर देखती है दीपक वही पर बैठा उसे घूरे जा रहा था उसके होठों पर मुस्कान थी।
शिवि जल्दी से अंदर की और जाने लगती है तभी दीपक जोर से बोला ,"अरे रुको रुको कहा चली मेरी बात तो सुनती जाओ तुम भी अपने भाई की तरह बाहर आना बस एक तोलिए में "शिवि अपनी आंखे बंध कर देती है। उसकी आंख से आंसू आने लगते है। वोह जल्दी से दरवाजा बंध कर देती है।
वही दीपक अपने होठों को दबा देता है। और अपने मन में बोला ,"साली एक बार हाथ लग जाए सारा रूप और नखरे उतार दूंगा इसके अपनी मर्दानगी ना दिखा दी इसे तो मेरा नाम भी दीपक दुबे नही "कहकर तिरछी मुस्कान के साथ एक टक उसी दरवाजे देखने कहता है।
इस वक्त वहा आसपास कोई नही था क्युकी वहा के सभी लोग किसान थे फिर चाहे बड़े हो या बूढ़े सभी लोग सुबह के 6 30 बजे तो मजदूरी करने चले जाते थे सिर्फ उनके बच्चे ही घर रह जाते थे।
शिवि जानबूजकर नहाने में काफी टाइम लगाती है ये सोच कर की दीपक वहा से चला जाए पर उसे अपने कानो में बाइक की आवाज बिलकुल भी नही आती।
दीपक भी अब शिवि की चालाकी जान चुका था। वोह अपनी बाइक स्टार्ट कर देता है। शिवि चैन की सांस लेती है और अपने पूरे कपड़े पहनकर दरवाजा खोल बाहर आती है तभी उसके कानो में बाइक की आवाज आती है शिवि की आंखे बड़ी हो जाति है शिवि हैरानी से साइड में देखती है। दीपक वही खड़ा था और शिवि को एक आंख मार देता है। शिवि जल्दी से अंदर भाग जाति है और दरवाजा बंध कर देती है दीपक बस तिरछा मुस्कराता हुआ रह जाता है शिवि अंदर आती है उसकी गौरी त्वचा नहाने कारण गुलाबी हो चुकी थी और काफी चमक रही थी शिवि के गीले बालों में से पानी गिर रहा था शिवि ने एक लॉन्ग येलो कलर का अनारकली ड्रेस पहना हुआ था। शिवि अपने बालो को खोल देती है। और उसे तोलिए से सुखाने लगती है। उसे कुछ भी कर इस दीपक से पीछा छुड़ाना था वरना ये दीपक उसे अकेला देख कभी भी कुछ भी कर सकता था
वही दुबे आंगन ,
दीपक अपनी बाइक बाहर पार्क कर बड़े से घर के अंदर दाखिल होता है उसके होठों पर शिवि को देख मुस्कुराहट थी। तभी श्रीमान दुबे जी बोले ,"लो श्रीमती जी आ गए आपके लाडले बेटे कही मटर गस्ति कर के पता नही इतनी सुबह सुबह कहा चले जाते है "
श्रीमती जी उन्हे टोकते हुवे बोली ,"क्या आप भी हमेशा मेरे बेटे के पीछे पड़े रहते है मुझे पूरा यकीन है किसी की मदद करने गए होंगे "
श्रीमान दुबे जी ,"ओह मदद? बोहोत अच्छे से जानती है आप अपने बेटे को "
श्रीमती जी मुस्करा देती है और अंदर बाकी के काम करने चली जाति है दुबे जी गुस्से से दीपक को घूर कर बोले ,"आज भी उसी लड़की के लिए वहा गए थे ना ?"
दीपक मुंह बना के बोला ,"हा गया था और आपको कितनी बार कहा है मेरी उससे शादी करवा दीजिए मुझे वोह किसी भी हालत पर चाहिए आप समझते क्यू नही आप उसके बाप को एक बार कहेंगे तो आपके चरणों में गिर जाएगा"
दुबे जी बोले ,"भूल मत हम ऐसा वैसा कुछ नही कर सकते ये सब कुछ भी है ये सब तेरे मामा जी के कारण है अगर वोह नही होते तो हमें ये सब जमीन घर कुछ नही मिलता ये सब अभी भी उनके नाम का है हमे सिर्फ संभालने दिया है हमे ये सब हाथ से जाने नहीं देना होगा तुम्हारी इन हरकतों से कही मामा जी नाराज ना हो जाए और हान ऐसी लड़किया सिर्फ रातों के लिए अच्छी होती है घर की बहु बनाने के लिए किसी अमीर
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