Hot romance - Part 32 in Hindi Love Stories by Mini books and stories PDF | Hot romance - Part 32

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Hot romance - Part 32

बुआ आगे बढ़ी और बोलने लगी" अच्छा होगा नियत साफ़ रखो वरना कबीर को भूल जाओ ,उसी समय अरुल नीचे आने लगी ,बुआ जी अरुल को देखकर बात बदलते हुए बोली " अपने कमरे में जा रही थी जाओ जाकर पैकिंग करो शाम को हम जा रहे हैं ..!!अरुल बोली सीढ़ियों से उतरते हुए" बुआ जी इतनी जल्दी क्या है आप लोग तो कल आए हो और मुझे अरव ने कहा कि आप लोग रहेंगे दो दिन तक ..??बुआ जी बोली अरुल के हाथ को अपने हाथ में लेकर " आओ बैठकर बातें करते हैं , तुम कल शॉपिंग में बिजी थी जब मैं यहां आई तो आओ चलो सोफ़ा पर ,उसी समय निवेदिता और सिमर भी किचन से आई और चारों सोफे पर बैठकर गपशप लगाने लगी , अरुल का फोन हर पांच दस मिनट में बज रहा था और वो अटेंड भी कर रही थी तो बुआ ने कहा" मुंडा पक्का आशिक बन गया है अरुल कि बधिया है मुझे एक वक्त डर लगता था अरव के लिए उसके बारे में समाचार में सुनती थी तो और अरव शादी के नाम पर भागता था जिम्मेदारी नहीं उठा सकता बोलकर अब देखो ऐसी बहू लाया कि खुद लट्टू हुआ है ..बुआ जी अपने परिवार के साथ वरदान विला छोड़ कर लुधियाना चली गई और कबीर मोनिका कनाडा चली गई..अरुल अगले दिन से अपने दोस्तों के साथ कॉलेज जाने लगी और कोशिश करती रही कि वो शशांक राजवंश कि बेटी नहीं है ,एक दिन शाम को अरुल  अपनी फ्रेंड सृष्टि के साथ पब चली गई  दोनों आएशा के बातों  पर बातचीत कर रही थी तो आएशा के कुछ दोस्त भी वहां आए और अरुल को देखकर उसके चेयर के अगल बगल बैठ गये और उसे पूछने लगे शशांक कि वो बेटी नहीं तो उसका पैरेंट्स कौन है ??"दिया आएशा कि खास दोस्त ने सवाल किया " आएशा बता रही थी कि अरुल कि मां उसकी फ्रेंड थी और वो कुंवारी मां थी ..आएशा के दूसरे दोस्त ने कहा" मतलब कि अवैध संबंध थी उसकी क्या अरुल तो तुम नजायज हो ...सृष्टि अरुल को बोली " अरुल चलो इनके दिमाग आएशा कि तरह खराब हो चुकी है जो कहीं भी किसी वक्त कुछ भी बोलने कि खुद बड़े इज्जत दार है तो इज्जत से पेश आए वो अरुल के हाथ पकड़कर खींचते हुए चली जा रही थी पर आएशा के फ्रेंड जोर जोर से बोलते हुए नजायज कहने लगे ..अरुल बाहर गाड़ी में बैठी और सृष्टि के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी तो सृष्टि बोली" अरुल चलो हम तुम्हारे डैड से बात करते हैं उसने कैसे तुम्हें नजायज कह दिया आएशा से ,और सच तुम्हारे डैड ही बताएंगे वरना आएशा और उसके दोस्त तुम्हें परेशान करते रहेंगे चलो मैं गाड़ी राजवंश हाऊस के तरफ ले जा रही हुं ...!!रात आठ बजे थे शशांक अपने ऑफिस से आकर लिविंग रूम में बैठा था और अरुल अपने फ्रेंड के साथ आई तो ..शशांक अरुल को देखकर खुश होते हुए अपने पास बुलाया बैठने फिर अरुल ने शशांक को  पूछना शुरू किया " डैड आएशा दी और उसके दोस्त कहते हैं मैं नजायज हुं तो प्लीज़ आप मुझे भी सच्चाई बताओं जो आपने आएशा दी को बताया है वरना मेरी दम घुट जाएगी प्लीज़ डैड मेरी सिचुएशन समझिए उसकी बोलते हुए गला रुंध गई थी !!शशांक ने कहा" ठीक है सुनो सच कि मैंने तुम्हें नजायज कभी नहीं कहा बेटा आएशा को आधा सच पता है लेकिन वो तुझे परेशान कर रही है ,तुम मेरी बेटी हो यही सच है पिछला क्या है वो मैंने कभी नहीं सोचा ,पर आज तुम सच जानना चाहती हो तो सुनो  " तुम्हारी मां हरियाणा कि थी काव्यांजलि चौधरी , उसके पिता गांव के सरपंच थे घर में  भरा पूरा परिवार थी उसकी काव्या पढ़ाई में अच्छी थी वो वकील बनने दिल्लीः युनिवर्सिटी आई थी मेरी पत्नी शिवांगी भी उस समय दिल्ली युनिवर्सिटी में थी , मैं  शिवांगी से एक क्लास आगे था हम दोनों दोस्त बने और हमारे बीच प्यार हुआ शिवांगी जब फायनल इयर में थी तब हमने शादी का डिसिजन लिया और हम दोनों परिवार के सहमति से शादी के बंधन में बंध गए फिर शिवांगी को भी ड्रेस डिजाइनर का कोर्स कि थी तो वो हमारे बिजनेस में लगा गई हमारा फैशनेबल कपड़ों का शोरूम था बहुत बड़ा  ..!!दूसरी ओर काव्या कि एल एल बी कि पढ़ाई  बची थी उसके कॉलेज में एक छात्रसंघ के नेता जिसके बाप भी बड़े राजनेता थे उस छात्र नेता  के खिलाफ कुछ सबूत मिले थे कि कॉलेज में ड्रग्स सप्लाई करवाने कि और कॉलेज के हॉस्टल में लड़कों लड़कियों को जबरदस्ती लत लगाने में उसका बड़ा हाथ था , काव्या उन दिनों हॉस्टल में रहती थी उसके सामने सच आया और उसने आवाज बुलंद किया कुछ सबूत लेकर  पर सच के साथ देने वाले नहीं होते इसलिए  उस छात्र नेता ने काव्या के साथ रेप  किया  ताकि  सबक सीखा सके कोई उसके खिलाफ ना हो , अगले  दिन काव्या जान बचाकर गांव भाग गई  , वहां उसने सच बताने कि हिम्मत नहीं जुटा पाई और वो प्रेग्नेंट हो गई , उसके परिवार वाले  सुने तो जान से  मारने के लिए उतारू हो गए उसकी मां ने उसे रातोंरात गांव से भगा दिया कुछ पैसे देकर  फिर वो नोएडा आ गई  और अपने पेट में  पल रही बच्चे को जन्म देने के लिए जद्दोजहद कर जीती रही जब वो डिलिवरी होने वाली थी तो शिवांगी को फोन किया मैं और शिवांगी उससे मिलने हॉस्पिटल गये नोएडा में काव्या ने अपनी आप बीती बातें बताई ,तभी फिर  लेबर पेन शुरू हुआ उसे और डॉक्टर काव्या को ऑपरेशन थियेटर ले गई उसकी बच्ची तो बच गई लेकिन काव्या नहीं बची उसे मेडिसिन के अभाव के कारण उसकी जान गई  थी , फिर डॉक्टर आए और एक नन्ही सी परी मेरी और शिवांगी के गोद में डाल दिया आएशा उस समय चार साल कि थी वो अक्सर अपने दोस्त ढूंढा करती थी हम दोनों पति-पत्नी बिजनेस में लगा जाते तो , मैंने और शिवांगी ने उस परी को अपना बच्चा बनाकर हमारे घर लेकर आ गये वो नन्ही परी हमारी जान बन गई और हमने दिल्ली छोड़कर मुंबई शिफ्ट हो गए अपने बिजनेस के साथ  ..अरुल रोने लगी  अपने डैड के सीने से लगकर ..!!आएशा फोन पर और होटल या पार्टी में अरुल मिलती तो बुरा भला बोलती ही थी , और अरुल घर पर रहती तो निवेदिता से बातें करते , निवेदिता कि  दुख को समझती और जैसा अक्षत का दुख को अपना जैसा दूख समझने  लगी ..एक दिन अरुल फिर सुबह से अरव को बिना बताए घर से निकल गई और अरव के कोई भी फोन का आंसर नहीं दिया अरव बहुत परेशान हो गया था वो शशांक को फोन लगाया तो उसे भी पता नहीं था सीड से पूरी मुंबई ढूढवा लिया अरुल का पता नहीं चला ,शाम को थककर अरव घर आया टेंशन में और लिविंग रूम में सोफे पर बैठा रहा अरुल के फ़िक्र में ...तभी अरुल आई और कुछ पेपर्स सोफे के सामने रखें टी टेबल पर ..अरव पहले पेपर देखा फिर अरुल को !! अरुल के चेहरा बदले हुए थे  ना मायूस ना कोई टेंशन थी..!!अरव दिनभर अरुल के पीछे भाग दौड़ में लगा रहा ऊपर से अरुल ने एक फोन का आंसर नहीं दिया और अब जब सामने आई है तो तेवर के साथ और फिर  अरव खड़े हुआ और आंखें सिकोड़ कर पूछा "ये पेपर्स .. क्या पेपर है ये अरुल..??अरुल ने ने तेवर दिखाते हुए बोली" ये हमारे डिवोर्स कि पेपर्स है ,आज पूरे दिन लगा मुझे पेपर बनवाने में इसलिए  जल्दी से साइन करो ताकि मैं आजाद हो सकूं..!!अरव अरुल के बातें सुनकर गुस्से में आया और गुर्राते हुए कहा " अरुल मेरी प्यार का ग़लत इस्तेमाल कर रही हो तुम शांत हुं इसका मतलब ये नहीं तुम्हारी हर नजायज बातों को मान लूं ,ये बताओ आज सारा दिन कहां थी तुम और मेरे फोन का अंसार क्यों नहीं दिया तुमने...??अरुल मुस्कुरा कर बोली " बिल्कुल नहीं मैं तुम्हारे प्यार का कोई ग़लत इस्तेमाल नहीं कर रही उल्टा तुम्हें बचा रही हुं बदनामी से  ,पूछो कैसी बदनामी..??अरव अपने दोनों हाथों को मोड़कर खड़े हुआ उसकी भौंहें तन गई थी  फिर पूछा" कैसी  बदनामी ..??अरुल सोफे पर आकर आराम से बैठी और बोली " नजायज .. हां नजायज औलाद का तमगा जो मुझे मिल चुका है जानते हो शशांक राजवंश ने एक अनाथ और नजायज लड़की को अपनी बेटी बनाकर पाला है  अब उसने जाहिर कर दिया है कि मैं एक नजायज औलाद हुं और तुम भी तो नजायज होने से नफ़रत करते हो तो तुम्हारी बीवी नजायज है उसे कैसे बर्दाश्त करोगे इसलिए मैंने तुम्हें आजाद करने का फैसला लिया है तुम भी आजाद और मैं भीअरव गुस्से से दांत पिसते हुए कहा" अरुल क्या बकवास कर रही हो मुझे फर्क नहीं पड़ता तुम कौन हो , मैं सिर्फ ये जानता हूं कि तुम मेरी बीवी हो , दुनिया क्या कहती है मुझे कोई लेना देना नहीं है समझी तुम ,और क्या नजायज नजायज कि रट लगा रखी हो तुम मिस्टर शशांक राजवंश कि बेटी हो  मैं यही जानता हुं बस ,उठाओ इन पेपर्स को और फाड़कर फेंक दो मैं तुम्हें तलाक़ दूं ये तुमने सोचा भी कैसे ...??अरुल खड़े होकर बोली " मतलब तुम पक्षपात कर रहे हो , तुम्हें मुझसे प्यार है तो मेरी नजायज होना भी तुम्हें मंजूर है ,तो फिर अक्षत को किस बात कि सज़ा दे रहे हो वो बच्चा है तुमने चार साल के बच्चे को विदेश भेज दिया और वो बच्चा अभी महज़ चौदह साल का है अपने परिवार के लिए तरस रहा है लेकिन तुमने रहम नहीं किया क्योंकि वो नजायज है इसलिए इतना फर्क क्यों अरव ,हो गई गलती मिसेज निवेदिता खुराना से जिसे तुम्हारे डैड ने माफ कर दिया था इसलिए जवाबदारी दिया था कि तुम अक्षत को अपने जैसा इंसान बनाओ गलती निवेदिता कि है उस मासूम कि नहीं पर सज़ा तो वो मासूम झेल रहा है , मुझे नहीं चाहिए ऐसा पति जो पक्षपाती हो मुझे आजाद करो डिवोर्स देकर ताकि मैं मेरी मां के गुनहगार को सजा दिलाने उसके शहर जा सकूं..!!