Lal Ishq - 2 in Hindi Adventure Stories by Mini books and stories PDF | लाल इश्क - भाग 2

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लाल इश्क - भाग 2

लाल इश्क भाग २


"लाल इश्क़" यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है , इसमें चित्रण किया गया किसी भी जीवित मृत मानव या जाति धर्म से कोई वास्ता नहीं है यह केवल मनोरंजन के लिए लिखा जा रहा है इसमें स्थानों कि भी कल्पना मात्र होगा वास्तव जीवन से दूर ,इस कहानी में सभी तरह का मटेरियल है जैसे राजनीति , रोमांस वा फाइटिंग वा फायरिंग पाठकों को विनम्र निवेदन है कि इस कहानी को मनोरंजन के लिए पढ़ें वा त्रुटि होने पर क्षमा करें ...



परिचय पात्र…..


नायक ...उज्जैन शहर का चर्चित - बिजनेस मैन / राजनीतिज्ञ "ओजस राजपुरोहित" उम्र - 28 , 6 '2 इंच ,रंग गोरा लंबी बियर्ड लंग हेयर चेहरे पर संजीदगी , पसंदीदा ड्रेस - अक्सर फॉर्मल कपड़ों में,जींस और ब्लेजर व बिजनेस सूट (टॉक्सिको)




ओजस राजपुरोहित के पिता अधिराज राजपुरोहित उज्जैन का एक प्रतिष्ठित और राजनीतिज्ञ उम्र - 55 साल ,
घर मे मां सा - पल्लवी राजपुरोहित उम्र 50 साल ,
दादी - गायत्री राजपुरोहित उम्र -75 साल ,
बड़े भैया - ओमी राजपुरोहित उम्र में ओजस से तीन साल बड़ा .
भाभी - मयुरी राजपुरोहित!
छोटे भाई - चिराग राजपुरोहित ओजस से तीन साल छोटा ,
बड़ी बहन - पारूल राजपुरोहित ओजस से उम्र में छह साल बड़ी ,
जीज श्री - पारस माथुर
छोटी बहन - स्वरा राजपुरोहित ओजस से पांच साल छोटी,
काका जी - अभिलाष राजपुरोहित उम्र 52 साल,
काकी सा - माधुरी राजपुरोहित उम्र 45 साल,
इनके बेटा - आयुष्मान राजपुरोहित और चिराग हम उम्र है और छोटी बेटी नित्रा राजपुरोहित और स्वरा में दो तीन महीने का फर्क है ..!!


नायिका - सुगंध आईपीएस अधिकारी है घर में मां गौरवी चौधरी एक प्राइमरी स्कूल कि टीचर हैं , सुगंध के पिता सुगंध जब पांच साल कि थी तभी एक्सिडेंट में स्वर्गीय हो चुका है घर पर परिवार के नाम पर गांव में मामा मामी और चाचा चाची जो सहारा देने के नाम से दूर चले गए थे उज्जैन में एक छोटे से कालोनी 3Bhk मकान पर रहती है ईएमआई पर...

सुगंध चौधरी उम्र 28 , 5 ' 5 इंच ,रंग गोरा लंबे काले सिल्की बाल , एजुकेशन बीएससी / फिजिक्स पोस्ट ग्रेजुएशन स्टूडेंट्स जिसने यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बनी और छह साल तक नौकरी में अलग-अलग जगहों पर ट्रांसफर के बाद उज्जैन शहर में ट्रांसफर होकर आई है ...

संक्षिप्त कहानी का परिचय..

ओजस राजपुरोहित और सुगंध चौधरी एक साथ स्कूलिंग किया है फिर इंजिनियरिंग पढ़ने ओजस दिल्ली चला गया फिर कैसे एक दूसरे से मिले और उसके बीच में रिश्ता क्या है सब कहानी पर मिलेगी , ओजस राजपुरोहित के राजनीतिक में कैसे आया और संगदिल होने का कारण उसका परिवार के साथ एक बड़ा हादसा ,उस हादसा में ओजस के बड़े भाई का हत्या हो जाता है और अधिराज राजपुरोहित कोमा में चला जाता है , हादसा था या साजिश किसने किया और कैसे हुआ ये सब कहानी पर परत दर परत मिलेगी और कुछ फ्लैशबैक भी होगी इस कहानी में...


कहानी में ...

हॉस्पिटल में ओजस सुगंध के आंखों में देखते हुए धीमी चला जब तक सुगंध के थोड़ा पास नहीं आया ओजस ने सुगंध के आंखों में जब बहुत से प्रश्न देखें तो वो आंखें फेरकर सीधे देखने लगा और कदमों को तेज कर दिया ओजस सुगंध को अनदेखा करके जाते हुए अपने मन में बुदबुदाया " तुम्हें बहुत दिनों के बाद देखा तो एक शुकून दिल में उतर आई है , तुम अगर पिछली बात भूल गई होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा है और मुझसे जितना दूर रहोगी सुगंध तुम खुश रहोगी ..

आसपास रिपोर्टर थे जो सवाल दागने लगा तो ओजस का ध्यान मीडिया पर आई

सवाल था " छोटे राजपुरोहित जी शिप्रा नदी के घाट पर हुए फायरिंग के बारे में आप क्या कहना चाहते हैं देश के जनता को बताओ ..??

ओजस ने कहा" जो फायरिंग हुई है वो बहुत निंदनीय है शर्मनाक है उन लोगों को शर्म आनी चाहिए उज्जैन एक पवित्र जगह है और माता शिप्रा नदी के घाट पर ऐसी अनहोनी नहीं करनी चाहिए कानून उसे सख्त से सख्त सजा दे मैं यही चाहता हूं। ओजस कि कदमे तेज हुई और घायलों के वॉर्ड आए जहां ट्रीट मेट हो रहा था यहां भी थोड़ी रोना गाना चल रहा था घायलों के परिजनों का , ओजस ने सबको सहानुभूति दिखाई और मीडिया में घायलों और मरने वालों के लिए कुछ मुआवजा देने कि घोषणा किया....

सुगंध भी रिपोर्टरों से बात करते हुए अपनी गाड़ी में आई और बैठ अपने ऑफिस आई ...


अगले दिन सुबह-सुबह


मंदिर में....


गौरवी जी और सुगंध मंदिर आई विशेष पूजा अर्चना करने के बाद सुंगध मंदिर परिक्रमा पर चली गई और गौरवी जी घुटनों में प्रॉब्लम के वजह से एक जगह पर बैठ गई थी ....तभी

कुछ लोगों के हलचल हुई तो वो मुड़ कर देखी और खड़े हुई चेहरे पर सहर्ष मुस्कान आई और दोनों हाथों को जोड़कर अभिवादन करने लगी ,जय महाकाल पल्लवी जी ....


पल्लवी राजपुरोहित ओजस कि मां ने मुस्कुराते हुए गौरवी के अभिवादन स्वीकार करते हुए पास आई और बोली " बहुत अच्छा लगा आपको देखकर सुना मैंने सुगंध ट्रांसफर होकर उज्जैन आई है अब मुलाकात होती ही रहेगी वैसे कहा है मेरी बहू ...??

गौरवी जी भी मुस्कुरा कर बोली" मंदिर परिक्रमा करने गई है आती ही होगी , मुझे अच्छा लगा सुनकर आप भूली नहीं बच्चों कि नादानियों में बनी रिश्ते दारी को पर आपने बहू माना है बेटा तो नहीं मानता आपके ..!!

पल्लवी फिर मुस्कुरा कर बोली" हूम्म.. भले वो अब नहीं मानता पर हां उसी ने हमारे घर पर बहू बनाकर लाया था सुगंध को उसके मांग पर मेरे बेटे ओजस के नाम का सिंदूर और गले में मंगलसूत्र थी तो बहू हुई ना , मेरे लिए सुगंध हमेशा ओजस की बहू ही रहेगी चाहे दोनों इस रिश्ते में रहे या खेल समझकर भागते रहे ...

गौरवी जी के निगाह सामने आते हुए सुगंध पर गई तो बोली लो वो आ गई ..

पल्लवी पलटकर देखी और मुस्कुरा दिया मन में बड़बड़ाई " हूम्म..आज भी उतनी ही खूबसूरत मेरी बहू ना मोटी हुई और ना पतली बिल्कुल ओजस की तरह जिद्दी है ..

सुगंध कि नजरें पल्लवी पर आई और वो भी मुस्कुरा कर अभिवादन किया" नमस्ते आंटी जी कैसी है आप उसने दोनों हाथ जोड़ लिए थे ...!!

पल्लवी ने कहा सुगंध के हाथ पकड़ कर " नहीं मुझे आंटी मत कहो मां सा कहो और ख़बरदार जो मुझे गले कि घंटी बनाई तो तुम मेरे लिए आज भी वही रिश्ते में हो इसलिए पैर पड़ो मेरी ...

सुगंध का मुस्कुराना फीका पड़ गया और अपनी मॉम को देखने लगी , गौरवी जी ने इशारा किया पैर पड़ो !! सुगंध झिझकते हुए पल्लवी के पैर छुई ...

पल्लवी मुस्कुराते हुए सुगंध के सिर पर हाथ रखकर आर्शीवाद दिया" भगवान महाकाल मेरी मनोकामना पूरी करे मेरे घर कि लक्ष्मी बनकर मेरी घर आओ हमेशा हमेशा के लिए...!!

सुगंध जल्दी खड़े हुई और सिर झुका लिया ..

पल्लवी सुगंध के गाल पर हाथ रखकर बोली "मिलते रहना , तुम्हें देखकर अच्छा लगता है मुझे , फिर वो बॉडीगार्ड के साथ आगे बढ़ गई ...!!

सुगंध भी गौरवी जी के साथ मंदिर प्रांगण से बाहर आई और सुगंध भुनभुनाते हुए बोली " पंडिताइन जी को सब भूल जाना चाहिए तो पुरानी यादों को ताजा करके रखी है जबकि सब कुछ वक्त के साथ धुमिल हो गई है वो अच्छी तरह जानती है कि उसका सपना कभी पूरा नहीं होगा ...!!

दोनों गाड़ी के पास आई और ड्राइवर ने दरवाजा खोला गौरवी जी के लिए वो बैठी तो सुगंध गाड़ी के दूसरी दरवाजे पर आई और सुगंध के संत्री ने गाड़ी के दरवाजा खोला , वो बैठी ..

गौरवी जी ने सुगंध के बातों का जवाब दिया " कभी-कभी वक्त फिर से नई कहानी लिखती हैं शायद इस बार महाकाल ही कोई चमत्कार कर दे और पल्लवी जी कि मनोकामना पूरी करे ..!!

गाड़ी चल पड़ी थी सुगंध मां के बातें सुनते देख रही थी मां के बात पर खुशी नहीं हुई तो वो बोली " अब मत शुरू हो जाओ मुझे कुछ नहीं सुनना जो नादानी में बीत गया वो दोबारा कभी नहीं होगा ...


राजपुरोहित हवेली में...


नौ बज चुके थे ओजस तैयार होकर अपने दो पर्सनल मैनेजर निखिल और ईशान के साथ बातचीत करते हुए सीढ़ियों से उतरा तो चार साल का एक छोटा सा लड़का दौड़कर आते बोल रहा था तोतली आवाज में " पपा...पपा ...वो बच्चा ओजस के पैरों पर लिपट कर ऊपर देखा बड़ी उम्मीद से ...


ओजस हल्की सी स्माइल देकर देखा और दोनों बाहें खोलकर उस बच्चे को गोद में लिया और पूछा "सुबह हो गई अंश राजपुरोहित आपकी ..


अंश ने मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया ओजस अब बड़ी सी लिविंग एरिया में आए जहां घर के बाकी सदस्य भी बैठे थे , ओजस सोफे पर बैठते हुए अपने बगल में बच्चे को बैठाया तो पास में बैठे काका जी ने कहा "ओजस मेरे आदमी बता रहे थे हमारे ही नीचे तबके के लोगों में फायरिंग हुई है बिहारी बाबू के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच इन्वेस्टिगेशन हो रही है हमें सचेत रहना है अभी महापौर के चुनाव पास आ रहा है राजपुरोहित का वर्चस्व कम नहीं होना चाहिए इस बार मैं महापौर के लिए चिराग को खड़े करना चाहता हूं अपने केबिनेट में मैंने मांग रखा है पार्टी जल्द फैसला लेगी ...


ओजस के चेहरे पर संजीदगी दिखा फिर बोला " काका जी आप चिंता ना करें आपकी विधायक कि कुर्सी पर कोई आंच नहीं आएगी मैं कार्यकर्ताओं को संभाल लूंगा और अभी से चिराग महापौर के पद को संभाल लेगा मुझे नहीं लगता कुछ नादानियां है इसमें ...

अभिलाष राजपुरोहित ने कहा " ओजस नादानियों से ही सिख मिलती है बेटा आज अगर तुम्हारे बड़े भाई ओम बेटा जीवित होते तो चिराग को समय मिलता राजनीति में आने कि ..!!

चिराग पास में बैठा था वो बोले " कल से न्यूज़ चैनल पर चल रहा है नई कलेक्टर साहिबा और कमिश्नर ने बयान दिया है , गुनाहगार को बक्शा नहीं जाएगा असली चेहरा सामने लाकर रहेंगे और सुगंध चौधरी एक सख्त आईपीएस अधिकारी हैं अभी तक सुनने में आया है वो न्यायप्रिय है कुछ मीडिया के लोगों ने स्टेटमेंट भी दिया है जहां भी वो गई है कानून व्यवस्था को दुरूस्त किया है उसकी काम बहुत न्यायपूर्ण रहता है इसलिए उसे जल्दी ही कलेक्टर पोस्ट मिला है ..!!

ओजस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया और अंश के साथ बिजी रहा ..!!

काका जी अभिलाष राजपुरोहित ने ओजस को देखा फिर जवाब दिया " हां.. मैंने भी ऑफिस और केबिनेट में सुगंध के ईमानदारी कि किस्से सुने हैं , मुझे लगता है ओजस एक बार पर्सनली हम लोगों को मिलना चाहिए क्या कहते हो...

ओजस ने कहा सपाट शब्दों में" काका जी हमारे घर से कोई नहीं मिलेगा मिस चौधरी से वो अपना काम करेगी और हम अपना दोस्ताना व्यवहार दिखाने कि जरूरत नहीं है किसी को ...

वहां बैठे काका जी चिराग , नित्रा और आयुष ने ओजस को आश्चर्य से देखा ओजस के चेहरा सख्त हो गया था ..!!

माधवी काकी सा आते हुए बोली " चलो नाश्ता तैयार है सब डायनिंग टेबल पर चलो ..

मयुरी डायनिंग टेबल पर काम करते हुए सभी के बातों को सुन रही थी और भुनभुना रही थी " फिर इस घर में वो चौधरी मेमसाब कि बातें होंगी हमारी खुशियों को ग्रहण लगाने आ गई ...उसकी बात माधवी काकी ने आते हुए सुनकर धीरे से बोली " खबरदार जो सुगंध के बारे में कुछ भी ग़लत बोली तो कोई माने या ना माने जीजी ने इस घर कि बहू मान लिया है तो हमारे लिए भी वो इस घर कि बहू है ..!!

मयुरी ने जवाब दिया " काकी सा, सिर्फ आप दो औरतें सुगंध को बहू मानती है जिसे मानना चाहिए वो तो कब का ये झूठ का रिश्ता ही भूल चुका है ...

काकी सा बोली " माना झूठा रिश्ता था पर कुछ तो है इस रिश्ते में जो अभी तक कड़ी जुड़े हुए हैं ..तभी फिर लिविंग हॉल में हलचल हुई ...

लिविंग हॉल में बैठे सभी लोग उठे क्योंकि डॉक्टर के टीम आई थी और काका जी उन लोगों को आदर से अंदर बुलाया और लिविंग एरिया से होते हुए वो डॉक्टर के टीम को एक कमरे में ले गए ..

अंश ने जाते हुए दादा जी और डॉक्टर को देखकर ओजस के गाल पर एक हाथ को रखकर दूसरे हाथ से इशारा किया जाने के लिए ...

ओजस ने कहा प्यार से पुचकारते हुए " बेटा अंश बड़े दादु कि तबियत ठीक नहीं है इसलिए छोटे दादु डॉक्टर को ले जा रहे हैं ...

पल्लवी भी मंदिर से आई और ओजस के पास आई और अंश के तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली " आ दादी के पास पपा को बहुत से काम करना है छोड़ पपा को ...

अंश सिर झटक कर नहीं बोला और ओजस से और चिपक गया ...

पल्लवी अब अंश को लालच देते हुए बोली" आओ चलें घुमी घुमी जाएंगे...इस बार अंश लपककर पल्लवी के तरफ झुका तो पल्लवी ने अंश को थाम लिया और ओजस को देखकर बोली " कब तक भाई के बच्चे से पपा कहलवाएगा अब तू भी सोच आगे बढ़ने कि जो हुआ उसे होनी समझकर भूल जा ..उसी समय मयुरी चहकते हुए आई अंश को लेने और बोली "अंश आजा बेटा ममा के पास चलो भूख लगी है ना वो जानबूझकर ओजस के करीब खड़े हुई तो ओजस सिर झटककर अपने लंबे बालों को दोनों हाथ से बांधते हुए अपने पिता के रूम तरफ गया .…..


शेष अगले भाग में...


पाठकों से अनुरोध है कि कहानी पसंद आई तो कमेंट करे ,पार्ट आप लोगों के कमेंट से ही अपलोड होगी इसलिए कमेंट करो ...


जय महाकाल 🙏