Pyar ki Arziya - 28 in Hindi Women Focused by Mini books and stories PDF | प्यार की अर्जियां - 28

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प्यार की अर्जियां - 28

संदीप ,"बेबे रावी की क्या गलती है ,क्या मनोरंजन भी ना करें वो लड़की है तो ...??

बेबे ,"संदीप गलती रावी नु , वो कुड़ी सी मूवी सूवी देखणा जरूरी हे मां बाप पढ़ने भेजया सी हॉस्टल नु ,वो कुड़ी गुलर्छे उड़ानी आएसी...??

पापा जी भी अब रूम में आ जाते हैं और बेबे की बात सुनकर बोल पड़ता है,"वो कुड़ी नु तै सारी खुशियां नु बलि दे, कि मनदीप जी उसे तो हक ना हे खुश रहणे की ,..??

बेबे ,"अहो जी मैनू घर वीच पैदा होई ना कुड़ी मैनू ना परवरिश करी गुरू जी कि ,,सावी इक जुबान ना खोली जिथे जिथे मैनू बोली वोही कर दिता सावी ,आज इक आजादी की दे दिया वो ग़लत फैदा उठा रही सी आज कुछ ग़लत हो जानी तो किसे मुंख दिखावेगी , मुझे समझ नी आंदा कुड़ी पैदा ही क्यों होंदी हे मुसीबत पैदा करण वास्ते ,अहो बाबा जी हमारी इज्जत की लाज रखि बाबा जी..!!

संदीप ,"बेबे आप किस जामने की बात कर रही है ,सही कहा आपने लड़कियां पैदा ही नहीं होनी चाहिए , ताकि आप जैसी मां भी ना मिलेगी, फिर ना बहू आएगी और वंश बढ़ेगी,रह जाए तो सारे मर्द फिर नपुंसक होकर रह जाए ,मैं जा रहा हुं मुझे रावी के पास जल्दी जाना है,,और संदीप ऐसे ही घर के कपड़े में निकल जाता है ,,बीच रास्ते में डीएसपी अंकल मिल जाता है जो अभी अभी ड्यूटी से आकर अपनी गाड़ी से उतरता रहता है, संदीप उसे मदद मांगता है और संदीप के पीछे डीएसपी अंकल भी संदीप के पीछे चल पड़ता है और अपने पुलिस ऑफिसर को फोन कर उसी रोड जाने बोलते हैं ,,,

संदीप गाड़ी ड्राइव करते हुए ,रावी को फोन करता है और इंट्रक्शन देता है अपने लोकेशन सिग्नल के लिए ,"हेलो रावी पुत्तर तू घबरा मत और पुलिस को हंड्रेड नंबर पर फोन कर वो वहां से तुम्हें ट्रेस करेंगे मेरी पहचान की पुलिस अंकल है वो सारे पुलिस स्टेशन पर इतील कर दिया है , मैं तुम्हारे फोन के लोकेशन देखकर आ रहा हुं पुत्तर तू घबराना मत ...और फिर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए लोकेशन पर जाता है...!!

रावी और उसकी फ्रेंड झाड़ियों के पीछे एक पेड़ की ओट पर छिपे रहती है ... तभी वहां वहीं गुंडे रावी और उसकी फ्रेंड के पीछे करते आते हैं और आपस में बात करते हुए ढ़ूढ़ंते है ....

पहला गुंडा ,"कहा गई वो दोनों लड़कियां यही होनी चाहिए अभी ज्यादा दूर तक तो जा नहीं सकती तुम लोग ढूढ़ना शुरू करो,, मां कसम बड़ी नमकीन लग रही थी वो दोनों ... फिर छः गुंडे आस पास
वो दोनों को ढूंढने लगते हैं ..!!

अब सभी गुंडे थककर कहते हैं लगता है वो दोनों आगे चली गई है हमें और दूर जाकर देखना चाहिए और सड़क किनारे रखे अपने बाईकों के पास जाने लगता है .. जैसे ही कुछ कदम चले ही रहते हैं वैसे फोन बज उठती है ....वो गुंडे एक दूसरे को देखकर इशारा करके पूछता है तो सब मेरा फोन नहीं में इशारा करते हैं ....अब समझ जाते हैं लड़कियां कहीं इस पास ही छुपी है तो एक-दूसरे को इशारा कर अपने अपने गाड़ी में निकल जाते हैं......!!

रावी और उसकी फ्रेंड अब उन लोगों के गाड़ियों के जाने की आवाज सुनकर उस पेड़ से बाहर सड़क पर आते हैं और चैन की सांस लेती ही रहती है,, फिर उन लोगों में से चार गुंडे जो वहीं छुपे रहते हैं वो अब रावी और उसकी फ्रेंड के सामने आते हैं .....!!

रावी और उसकी फ्रेंड की डर से भागने को देखती है लेकिन चार गुंडे उन दोनों को घेर लिया रहता है तभी बाइक में दो गुंडे वापस आता है और अब छः गुंडे रावी और उसकी फ्रेंड के ऊपर झपट पड़ते हैं ...रावी और उसकी फ्रेंड तीन तीन गुंडे पकड़कर कर जबरदस्ती करने लगते हैं ...उसी समय तेज रफ्तार से गाड़ी आती है अपनी तेज रौशनी से वहां उस अंधेरे जगह को रौशनी से भर देता है वो गाड़ी आकर वहीं रूकती है और वहां से संदीप निकलता है ....

संदीप , गुस्से से तेज आवाज में,"वहीं रुक जाओ और छोड़ दो दोनों लड़कियों को वर्ना अंजाम बहुत बुरा होगा तुम लोगों का ....??

उन छः गुंडे में से चार संदीप के पास आते हुए ,तू कौन है रे इन दोनों लड़कियों का मसिहा है ,हा..??

संदीप ," सही समझा ...!!

गुंडे ,"देखो रे ये लौंडा इन लड़कियों को हमसे बचाने आया है ,, हाहाहाहाहा सभी लोग हंसने लगता है ...!!

संदीप ,"अब आव देखता है ना ताव जो सामने खड़ा रहता है उसके ऊपर कूदकर हमला करता है, फिर चारो गुंडे अब संदीप को मारने के लिए हाथापाई करते रहता है और पुलिस आती है सड़क के दोनों साइड से और पुलिस गुंडों को अरेस्ट करती है ....

संदीप नीचे गिरे पड़े चुनरी को उठाकर रावी के फ्रेंड को ओढ़ता है और दूसरी चुनरी उठाकर रावी को ओढ़ता है ....

सभी पुलिस स्टेशन पहुंच कर एफआईआर दर्ज करवाते हैं..... और संदीप के साथ घर आते हैं दोनों फ्रेंड....!!

बेबे घर में बहुत परेशान हैकर टहलते रहती है डर में बड़बड़ाते रहती है ...तभी डोर बेल बजती है और बेबे दरवाजा खोलती है सामने संदीप के साथ रावी और उसकी फ्रेंड रहती है सभी अंदर आती है..
और बेबे रावी को गले लगाती है,कुछ ग़लत तो ना हुआ ,, और डांटते हुए सुनाने लगती है ...!!

संदीप बेबे को मना करता है बोलने से , बेबे इनकी कोई गलती नहीं फिर भी इन दोनों को सुना रही हो ,, वाहेगुरु जी के लिए शांत हो जाओ ,, और किचन से दोनों फ्रेंड के लिए गिलास में पानी लेकर आता है और खाने के लिए पूछता है ...??

रावी ," मामा जी हम खाना खा लिए ,मामा जी कन्या मामी जी नहीं दिखाई दे रही है ..??

पापाजी ,"तेरी नानी ने कन्या पुत्तर नू कार वीच निकाल दी सी रावी पुत्तर...!!

रावी ,अब आश्चर्य से ,क्यो ...??

संदीप ,"क्योकि कन्या का बचपन में रेप हुआ था तो बेबे उसे दागदार समझती है इसलिए इस घर में कन्या को नहीं देखना चाहती ..!!

रावी ,"अब और आश्चर्य से , फिर कुछ सोचती है , फिर कहती हैं ,नानी जी आज हम किस्मत से बच गए अगर मामा जी टाइम से नहीं पहुंचते तो हमारे साथ घटना हो जाती फिर ,हम भी दागदार हो जाते क्यो नानी ,रावी के आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं और उन आंसुओं को पोछते उठ खड़े होती है और कहती हैं,"हम भी कैसा बेशर्म है जो इस घर में पनाह लेने चले आए जहां पर लड़कियों को दोषी मानती है रेप हो जाने पर उसी के चरित्र को दागदार समझती है ,चलो उठो नीतू हम इस घर में नहीं रह सकते अभी के अभी चले जाते हैं हॉस्टल भले ही हमें गुंडे मवाली रास्ते में मिले चल ,और रावी अपनी फ्रेंड की हाथ पकड़कर उठाती है ...

नीतू ,"हां रावी तू सही कह रही है ,जिसने अपने घर की बहू का इज्जत ना करी हो वो हमारे ऊपर क्या रहम करेगी चल ....!!

बेबे ," मत मारी गई सी त्वड्डे लोगों की इती रात होया सी, वेख ले बाहर फेर भी जाणा , होर अपने कपड़ों की हालत देख फटे हुए हैं फेर भी जाण सी ...!!

संदीप और पापाजी भी बोलते हैं ,"रावी पुत्तर ये कि गल दसिया सी त्वड्डे लोग...??

रावी ,"मामा जी होर नानू जी प्लीज़ हमें जाने दो जिस घर में औरतों का मान नहीं हम यहां नहीं रहेंगे जाने दीजिए हमें ,नानी के साथ तो बिल्कुल भी नहीं रहना बीच रास्ते में हमारे साथ कुछ भी हो अब हम फोन नहीं करेंगे आप लोगों को,, आप सब हमारी हाल पे छोड़ दो ,गुड बाय आप लोगों को..और तेज कदमों से रावी और नीतू जाती है ... जैसे ही दरवाजा खोलकर जाने लगती है ...तो

बेबे के मन में अर्तद्वंद चलने लगती है और उसे रावी और उसकी फ्रेंड को गुंडे दबोचते हुए ख्याल मन में भर जाती है , फिर एक चीख के साथ कहती हैं ,"संदीप पुत्तर जा रोक रावी नू ,जा पुत्तर...

संदीप ,"नहीं बेबे रावी सही कहा हमें क्या करना है जाने दो उसे वो कुड़ी है तो गलती करेगी ही...!!

बेबे ,"गुरू जी आपणो समझो जी रावी नू रोक लो इती रात होण चली हे दो कुड़ी है कुछ हो जाने से तो सावी पुत्तर होर जमाई जी नू कि दसिया सी मैनू जा छेती रोक लो जी ,मैं पैर पणव आप नू जा छेती ,रोते हुए कहती हैं...!!

पापाजी ,"मनदीप रावी हमारे मनाने से कार ना आवेगी, तैनू ही वापस लावण जा होर प्यार वीच समझकर वापस ले आण जाओ तुसी ..!!

बेबे ," ऐ भी गल सही है तैनू ,मैनू ही जाण चाहिया चल संदीप मैनू ले चल रावी के पीछे ,,और बेबे तेज कदमों से घर से निकलती है ....

क्रमशः .....