कॉलज की वो सुबह हमेशा की तरह चहल-पहल भरी थी।दिल्ली यूनिवर्सिटी का कैंपस,जहाँ हर कोने में या तो प्यार खिलता था, या अहंकार टकराता था।और उसी टकराव में पहली बार मिले —कियारा और विराट।कियारा — एक शांत, समझदार, और आत्मविश्वासी लड़की,जो अपने पिता की एकमात्र संतान थी।मां का साया बचपन में ही खो दिया था,और अब ज़िंदगी बस पढ़ाई और करियर का नाम थी।वहीं विराट — रईस बाप का बेटा,जुबान पर अकड़ और आँखों में चुनौती।उसकी पहचान थी “जिससे पंगा लिया, उसने पछताया।”---एक दिन कॉलेज की डिबेट कॉम्पिटिशन मेंदोनों आमने-सामने आए।विषय था — “प्यार अब एक समझौता है या एहसास?”कियारा