Chapter 7 — जैतसिंह की रानियों का षड्यंत्र और भारमाली–बागा का भगा ले जाना जैसलमेर के किले में पिछले कुछ समय से एक बेचैन करने वाली हवा बह रही थी।जहाँ भी दो दासियाँ मिलतीं, वही एक फुसफुसाहट सुनाई देती—“जैत सिंह और भारमाली की नज़दीकियाँ…”महल की दोनों रानियाँ इसे सुन–सुनकर तंग आ चुकी थीं।जितना वे इस बात को दबाने की कोशिश करतीं,उतनी ही तेज़ी से ये चर्चा किले की दीवारों में फैलती रहती।रानियों को लगने लगा था कि भारमाली सिर्फ़ एक मेहमान नहीं,बल्कि वह परछाईं है जो धीरे-धीरे उनके घर की नींव को ही हिलाने लगी है।आख़िरकार एक शाम बड़ी रानी ने