अध्याय 6पुनर्जागरण और सांस्कृतिक चेतनाकिसी भी संस्कृति का जीवन केवल उत्थान का नहीं होता, उसमें उतार भी आते हैं। किंतु वही संस्कृति शाश्वत कहलाती है जो हर बार पतन की राख से पुनः उठ खड़ी होती है। भारतीय संस्कृति का इतिहास इसी अद्भुत पुनर्जागरण का इतिहास है। यह संस्कृति आंधियों में झुकी अवश्य, परंतु कभी टूटी नहीं। समय-समय पर इसने स्वयं को नया रूप दिया, नए विचारों को आत्मसात किया और अपनी जड़ों से शक्ति लेकर फिर से पुष्पित-पल्लवित हुई।मध्यकाल में जब समाज धर्मांधता और अंधविश्वास के बोझ तले दब रहा था, जब जात-पाँत, ऊँच-नीच और कर्मकांड ने जनमानस को