कमरे में सन्नाटा था. नकाबपोश का चेहरा अंधेरे में छिपा हुआ था, लेकिन उसकी मौजूदगी हवा में एक अजीब- सी खामोशी छोड रही थी. मोमबत्तियों की हल्की लौ उसके कदमों के साथ कांप रही थी.कबीर, वेरिका और आरव—तीनों की निगाहें उसी पर टिकी थीं. सबके दिल धडक रहे थे, लेकिन हर किसी के चेहरे पर अलग भाव थे—कबीर में गुस्सा, वेरिका में सवाल और आरव में नफरत का मिश्रण.नकाबपोश ने एक धीमी और गूंजती आवाज में कहा—तुम समझते हो कि यह जंग दौलत और ताकत की है? नहीं. यह खेल विश्वास, मोहब्बत और सबसे बडे रहस्य का है।कबीर ने तलवार