गाँव में हर तरफ जश्न का माहौल था.लोग ढोल- नगाडे बजा रहे थे, और औरतें रंग- बिरंगे कपडों में नाच रही थीं.कबीर और शहवार की जोडी अब सिर्फ मोहब्बत की मिसाल नहीं रही, बल्कि गाँव की ताकत भी बन चुकी थी.पंडित जी ऊँचे स्वर में बोले —आज से यह खजाना गाँव का होगा, और इसका इस्तेमाल सबकी भलाई के लिए किया जाएगा।भीड ने तालियाँ बजाईं, लेकिन शहवार के चेहरे पर हल्की- सी चिंता की लकीर थी.उसने धीरे से कबीर से कहा—मुझे लगता है ये खजाना सिर्फ दौलत नहीं है. इसके साथ कुछ और भी जुडा हुआ है।कबीर ने उसका हाथ