प्रयाग यात्रा - 3 पौराणिक और प्राचीन महत्व (1)

  • 252
  • 60

प्रयाग यात्रा - 3 पौराणिक और प्राचीन महत्व  प्रयाग के विषय मे तुलसीदास जी ने कहा है -  को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ॥अस तीरथपति देखि सुहावा। सुख सागर रघुबर सुखु पावा॥  भावार्थ पापों के समूह रूपी हाथी के मारने के लिए सिंह रूप प्रयागराज का प्रभाव (महत्व-माहात्म्य) कौन कह सकता है। ऐसे सुहावने तीर्थराज का दर्शन कर सुख के समुद्र रघुकुल श्रेष्ठ श्री राम  ने भी सुख पाया । सर्वप्रथम तीर्थराज प्रयाग को शत शत नमन, प्रयाग यात्रा मे आप सभी का पुनः अभिनंदन है। जिस प्रयाग के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहते है कि तीर्थराज प्रयाग का वर्णन कौन कह