मोमल : डायरी की गहराई - 8

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सुबह सुबह हॉस्टल में चहल पहल हो रही थी। सारी लड़कियां कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी। मोमल ने अपनी खिड़की से झांक कर बाहर की ओर देखा, फूलों की खुशबु सुबह की हवा में घुली हुई दिल वा दिमाग को ताज़गी दे रही थी लेकिन मोमल का दिल वा दिमाग थका हुआ महसूस कर रहा था। किसी तरह वो बस दो घंटे ही सोई थी उसमे भी नींद से ज़्यादा सपनों का डेरा था। वो खिड़की के पास खड़ी हो कर एक जगह नज़र टिकाए बस देख रही थी। फज़ा में कोहरे की पतली चादर थी। मैदान