लागा चुनरी में दाग़--भाग(५९)

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धनुष उस रात प्रत्यन्चा से बहुत कुछ कह चुका था लेकिन धनुष प्रत्यन्चा से वो बात नहीं कह पाया था जो वो कहना चाहता था,ऐसे ही दिन बीत रहे थे,सबको अब डाक्टर सतीश और प्रत्यन्चा की सगाई का इन्तजार था और फिर सगाई के दो दिन पहले ही शीलवती जी दीवान साहब के घर आईं और उनसे बोलीं... "दीवान साहब! मैं यहाँ आपसे कुछ जरूरी बात करने आई थी" "जी! कहिए",भागीरथ जी ने कहा... "जी! मैं चाहती थी कि सगाई एकदम सादे तरीके से और मेरे घर पर हो",शीलवती जी बोलीं... "जी! अगर आप ऐसा चाहतीं हैं तो ऐसा ही