शाम के टाइम रूही और सुनीता जी दोनों हाॅल में बैठकर बातें कर रही थी सुनीता जी ने रूही को यही रोक लिया था रूही जो यही चाहती थी वह बहुत खुश थे इतने में दरवाजे की घंटी बाजे रूही आप यहां बैठी आंटी में देख कर आती हूं यह कहकर दरवाजे खोलने चली गई जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर दीपक जी खड़े थे जो रिया के पापा थे जैसे ही रूही अपने पापा को देखकर बहुत खुश हुई जैसे ही वह गले लगाने जाती एकदम से रुक गई फिर उसने अपने हाथ जोड़े और कहा नमस्ते