में और मेरे अहसास - 102

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दिल की क़ायनात के नेता बन गये हों l इश्क़ की महफिल आबाद कर गये हों ll   मिलने मिलाने का नतीज़ा ये हुआ है कि l रूह का पटारा अरमानों से भर गये हों ll   दूसरों की जिन्दगी में ताकझाँक करनेवाले l पड़ोसीओ का चैन ओ सुकूं हर गये हों ll   जीवन की नैया डूबने लगती है जब के l निगाहों से जरा सा जो दूर गर गये हों ll   मुहब्बत की मौसमी बारिस हुई तो l प्यार और अपनेपन से तर गये हों ll १-५-२०२४    देश भ्रष्टाचार में फस गया है l भ्रष्टाचारियों से