दिल की क़ायनात के नेता बन गये हों l इश्क़ की महफिल आबाद कर गये हों ll मिलने मिलाने का नतीज़ा ये हुआ है कि l रूह का पटारा अरमानों से भर गये हों ll दूसरों की जिन्दगी में ताकझाँक करनेवाले l पड़ोसीओ का चैन ओ सुकूं हर गये हों ll जीवन की नैया डूबने लगती है जब के l निगाहों से जरा सा जो दूर गर गये हों ll मुहब्बत की मौसमी बारिस हुई तो l प्यार और अपनेपन से तर गये हों ll १-५-२०२४ देश भ्रष्टाचार में फस गया है l भ्रष्टाचारियों से