कुछ बातें (दिल को सुकून)

  • 909
  • 252

1.उसके चेहरे को तुमने ठीक से देखा ही नहीं पांच झीलों के बराबर तो फक्त आंखें हैं2.मैंने कहीं कोई मन्नत का धागा नहीं बांधा है... बस तुम्हारे हृदय की दहलीज पर अपना मन बांधा है... 3.सुनो जाना तुम्हें पसंद लब्ज मेरेमेरे लब्जों को तुम,4.अगर मैं रूठ जाऊं तो उसकी साँसे रुकने सी लगती है,पसंदीदा स्त्री पुरुषों के लिए ऑक्सीजन सी होती है...! 5.इश्क में नामकरण का मज़ा भी अलग हैवो जिस नाम से भी बुलायें अच्छा लगता है...! 6.छोटी - छोटी बातें ही मायने रखती हैबड़े - बड़े वादे नहीं...7.वो ख़्वाब हो जो पूरा ना हो सकाफिर भी मुझे वही