बागों में बहार है

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1.किसी के होठों की मुस्कान बनकर देख, ए आदमी, तू भी कभी इंसान बनकर देख पहेलियां ये जिंदगी की हो जाएंगी हल,मुश्किल वक्त में तू आसान बनकर देख ये मायूस से चेहरे चाहते हैं मुस्कुराना,उदासी में खुशी का फरमान बनकर देख दूसरों के उसूलों पर चलने से है बेहतरअपनी मर्जी का तू सुल्तान बनकर देख अपने हाथों से रख बुनियाद सपनों की,जहान में खुद अपनी पहचान बनकर देख हासिल होगी ना खुशी बेशुमार दौलत से,किसी की दुआओं से धनवान बनकर देख ये हवाएं भी बहेंगी इक दिन हक में तेरेमजबूत इरादों का तू तूफान बनकर देख2.सतरंगी ख्वाब दिखाते हैं,जाने क्यों,