सपनों की राहें

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सपनों की राहेंअनीशा के माँ - बापूजी अपने खेत - खलिहान, घर - द्वार और अपनों को छोडकर काम की तलाश में लाला राम के भट्टे पर रोजी - रोटी की जुगाड़ में आ गये।अनीशा अपने गाँव में कक्षा छह तक पढ़ी थी। यहाँ माँ - बापूजी दिन भर काम में लगे रहते, इसी वजह से अनीशा अभी स्कूल न जा पा रही थी। वह माँ - बापूजी के काम में हाथ बँटाती और समय निकालकर खुद ही पढ़ती रहती।एक दिन बापूजी ईंटें बना रहे थे। अनीशा अंग्रेजी की किताब पढ़़कर बापूजी को सुना रही थी, तभी भट्टा मालिक लाला