तड़प इश्क की - 37

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...... पंचमणि में वैदेही..........अचानक आई आवाज से विक्रम हैरान रह गया...." कौन हो तुम...?... सामने आओ..."....अब आगे......विक्रम के चिल्लाते ही एक छोटी तितली अंदर आती है जो थोड़ी ही देर में अपने असली रूप में आ चुकी थी , जिसे देखकर विक्रम दांतों को भिंच के गुस्से में कहता है..." माद्रिका...." माद्रिका अपने शक को यकीन में बदलते हुए कहती हैं..." मुझे लग ही रहा था तुम कोई साधारण इंसान नहीं हो , हममें से ही कोई हो , अब ये और बता दो तुम आखिर हो कौन..?.." विक्रम एक शातिराना अंदाज में हंसते हुए कहता है..." तुम तो ऐसे