ख्वाइशें - 2

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औऱ कांत की सबीना से वाट्सएप पर बात होने लगी।एक दिन कांत सबीना से बोला,"लाहौर की मिट्टी में तो कुछ है"मिट्टी तो मिट्टी होती है वह चाहे कही की भी हो"नही।लाहौर कि तो अलग किस्म की ही है"अलग किस्म की कैसे है, मेरी समझ मे तो नही है"मेरी आँखों से देखो तब पता चलेगा"तुम्हारी आँखों से तो तुम ही देख सकते हो"मैं ही तो देख रहा हूँ तभी तो कह रहा हूँ"फन्नी"हाऊ फन्नी"लाहौर से सेकड़ो मील दूर बैठे हो यहाँ की मिट्टी तुम्हे दिखेगी कैसे जो तुम लाहौर की मिट्टी की बात कर रहे हो"मुझे दिख रही है तभी बात