असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 8

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उत्तर भारत और हिमालय में भ्रमणबिना किसी साधन-सुविधा के, अपने जाने-पहचाने स्थल को त्यागकर देशाटन के लिए निकल पड़ना कोई साधारण चुनौती नहीं थी। रास्ते में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था।उस समय यातायात के साधन सीमित थे। वनों से, पहाड़ों से होकर, अधिकतर यात्रा पैदल ही करनी पड़ती थी। कई बार तो प्राणों पर संकट भी आते थे। लेकिन राम के इस दास को कोई डर नहीं था। उनकी रक्षा करने के लिए, उन्हें मार्ग दिखाने के लिए उनका रघुवीर समर्थ था। गाँव-बस्तियाँ, पर्वत-नदियाँ पार करते हुए समर्थ रामदास की यात्रा चलती रही।सबसे पहले वे काशी नगरी