....Laxmi. Another name of her.

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...उससे बात करकर ऐसा लगा था ...किसी की आवाज इतनी भी मिठी हो सकती है..?बिना देखे ..कोई तुम्हारे मन में अपन अस्तित्व की छाप रख सकता है।व्यक्ति के दिखाई देने से ज्यादा उसका होना अधिक आवश्यक रहता है।बनावटी।दिखावे का नकाब कभी भी उतार दिया जाता है,परिस्थिति के अनुकूल न होने पर,मगर मन के भीतर से अगर कोई साफ और न स्वभाव के ही गुणों में शामिल होता है। वह पल जीवन के सबसे हसीन पलों में शामिल थे।वक्त जैसे ठहर सा गया था।घड़ी की सुइयां थम सी गई थी। उसे यह पता भी हो सकता है