वो माया है.... - 25

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(25) दिशा को डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था। वह सो रही थी‌। शांतनु मनीषा को पास के एक भोजनालय में खाना खिलाने ले गए थे। खाना खाते हुए शांतनु ने कहा,"फोन किया था। पुष्कर की बॉडी कल सुबह उसके घरवालों को दी जाएगी। इसका मतलब है कि आज रात यहीं रहना होगा।"मनीषा कुछ सोचकर बोलीं,"मैं दिशा के कमरे में रात गुज़ार लूँगी। मेरी मानो तो तुम वापस चले जाओ। मैं संभाल लूँगी।"शांतनु ने मनीषा की तरफ देखकर कहा,"मालूम है तुम सब संभाल लोगी। पर मैं डिम्पी के लिए यहाँ हूँ। उसे मेरी ज़रूरत पड़ेगी।"मानीषा को एहसास हुआ