हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 16

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गोरखपुरमें पुनः भगवान्के साक्षात् दर्शनों कीविलक्षण घटनाएँगोरखपुरमें कान्तीबाबूके बगीचेमें, जहाँ भाईजी उस समय निवास करते थे, नित्यप्रति सत्संग प्रारम्भ हो गया। प्रेमीजनोंने भाईजीसे जसीडीह की घटना जानने के लिये अनेक प्रश्न किये, जिसका उत्तर भाईजी बड़े संकोच से देते। इन दिनोंकी बातोंका वर्णन पू० भाईजीने श्रीसेठजी को पत्रोंमें पूरा भेजा है। विशेष जानकारीके लिये इसी पुस्तकमें दिये पत्रोंको देखना चाहिये। जो घटनाएँ श्रीभाईजीने अपनी डायरीमें नोट की. उनकी नकल नीचे दी जा रही है।पहली घटनासं० 1984 वि० आश्विन शुक्ल 6, रविवार ता० 2–10-1927 ई०स्थान-- कान्ति बाबूका बगीचा (गोरखपुर शहरके बाहर) दक्षिण तरफके कमरेके पासवाला बीचका बड़ा कमरा ।समय -- प्रातःकाल