में और मेरे अहसास - 76

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दिल की कलम से लिखो l शायर की जुबां से कहो ll   हरएक पल जीभर जियो l रोज लम्हों के साथ बहो ll   आसां नहीं है जिंदगी जीना l अब खुदा की मरज़ी सहो ll   क़ायनात में खुशियाँ हैं छिपी l जहां भी रहो बस खुश रहो ll   जिंदगी को जिंदादिली से लो l खुद को खुदा के दिल में रखो ll   प्रिये महफिलों में ना घुमा करो l पीना है तो जाम नजरों से पियो ll १६-३-२०२३   अपनी बर्बादी का जश्न मना रहा हूँ l तेरी बेवफाई तुझे ही दिखा रहा हूँ ll