खण्‍डकाव्‍य रत्‍नावली - 6

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  खण्‍डकाव्‍य रत्‍नावली 6  श्री रामगोपाल भावुक के उपन्‍यास ‘’रत्‍नावली’’ का भावानुवाद     रचयिता :- अनन्‍त राम गुप्‍त बल्‍ला का डेरा, झांसी रोड़ भवभूति नगर (डबरा) जि. ग्‍वालियर (म.प्र.) 475110   षाष्‍ठं अध्‍याय – गणपती दोहा – पुत्र सहारा बनत है, पति वियोग के बाद। सोई रतना आस कर, तज दिये सकल विषाद।। 1 ।। तारापति अब बोलन लागा। सभी खिलाने लेते भागा।। नाना लिये ग्राम में डोलें। रतना मात की आशा तौलें।। रतना सोचे किरिया सारी। होगा निज गृह का अधिकारी।। छोटा है सो सभी खिलाते। भइया भाभी प्‍यार जत