किंबहुना - 5

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दफ्तर का माहौल लगभग उसके अनुकूल हो गया था। अब बात बेबात एजीएम की झिड़की या नीलिमा के कटाक्ष नहीं मिल रहे थे। इसी बीच गणेश उत्सव आ गया तो झांकियों के साथ आए दिन गीत-भजन, नाटक-नाटिकाओं का दौर भी शुरू हो गया। संचालन के लिए उससे रोज कहा जाता और वह रोज इन्कार कर देती। पर जिस दिन पुलिस कप्तान को मुख्य अतिथि बनाया गया, उसने इसलिए हामी भर दी कि मंच की विविध प्रस्तुतियों से उन्हें बोरियत हो तो संचालन से सरसता बनी रहे। गीत-भजन, नाटिका, गरवा और बीच-बीच में उसकी कविताएँ। संचालन इसलिए भी उसी से